Read this article in Hindi to learn about the structure of algae with the help of suitable diagrams.
नील हरित शैवाल:
ये एक कोशिकीय तथा बहुकोशिकीय शैवालों का समूह है । इन्हें अंग्रेजी में सायनोबैक्टीरिया भी कहा जाता है । सामान्यत: ये शैवाल रुके हुए पानी में उगती हैं और फिसलन-बनाती हैं ।
लक्षण:
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1. इन शैवालों का रंग नीला हरा होता है ।
2. इनका पादप शरीर थैलस कहलाता है, जो तन्तुवत तथा बेलनाकार होता है ।
3. इनके थैलस के चारों ओर म्यूसीलेज का चिपचिपा आवरण होता है ।
4. इनके थैलस सामान्यत: अशाखित होते हैं तथा इनकी कोशिकाओं में केन्द्रक स्पष्ट नहीं होता है ।
लाभदायक प्रभाव:
1. सभी नीले-हरे शैवाल मिट्टी में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करती है ।
2. जैविक खाद के निर्माण में ।
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हानिकारक प्रभाव:
1. जल को प्रदूषित करना ।
2. इन शैवालों की अधिकता से तालाब के अन्य पौधे व जीव मरने लगते हैं ।
स्वर्ण शैवाल (डायटम्स):
ये भी एक प्रकार के शैवाल हैं, जो समुद्री एवं स्वच्छ जल में पाए जाते हैं । सुनहरे भूरे रंग के ये शैवाल काफी चमकदार होते हैं इसीलिए इन्हें स्वर्ण शैवाल भी कहा जाता है । इन शैवालों की कोशिका के दो अर्धांश होते हैं जो एक छोटी डिबिया के समान रचना बनाते हैं । इसी कारण इन्हें डायटम्स कहते हैं ।
इन शैवालों की कोशिका मित्ति की बाह्य पर्त पर सिलिका जमा होकर विशिष्ट क्रम में व्यवस्थित हो जाता है जिससे ये सुन्दर दिखाई देते हैं । डायटम्स के कुछ उदाहरण नेवीकुला, पेनुलेरिया, सायक्लोटिला इत्यादि हैं ।
आर्थिक महत्व:
1. समद्री जीवों का प्रमुख भोजन डायटम्स है ।
2. टूथपेस्ट बनाने में ।
3. तापरोधी ईटें बनाने में ।
4. वार्निश तथा पेंट बनाने में ।