Read this article in Hindi to learn about the various parts of nervous system in humans.
तन्त्रिका तंत्र के मुख्य कार्य:
1. शरीर के सभी तंत्रों का नियंत्रण जिससे उनके कार्य मिलजुल कर तथा उपयुक्त ढंग से चल सकें ।
2. भिन्न संवेदनाओं का अनुभव
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3. हायर फन्कसन जैसे बातचीत, सोचना, सीखना, याद करना तथा अन्य स्किलफुल कार्य ।
समझने के उद्देश्य से तंत्रिका तंत्र को निम्न भागों में विभाजित कर अध्ययन कर सकते हैं:
1 तंत्रिका कोशिकायें (Nerve Cells) व तंत्रिका तन्तु (Nerve Fibres)
2. केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र (Central Nervous System)
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3. परिधीय तंत्रिकातंत्र (Peripheral Nervous System)
4. स्वयं निर्देशक तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System)
तंत्रिका कोशिकायें एवं तन्तु:
तंत्रिका तंत्र मुख्यत: दो प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है । न्यूरान (Neurons) व न्यूरोग्लीया (Neuroglia) । प्रत्येक न्यूरान में सेलबाडी (Peri Karyon or Soma) तथा दो सूत्र (Process) होते हैं । एक एक्जान (Axon) और एक या अधिक डेन्ड्राइट (Dendrites) ।
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तंत्रिका कोशिकाओं को दो आधार पर बांटा जा सकता है:
(क) आवेग की दिशा के आधार पर:
(1) अफरेन्ट न्यूरान की सेन्सरी आवेग को परिधि से स्पाइनल कार्ड या मस्तिष्क को पहुंचाती है ।
(2) मोटर या चालक तंत्रिकायें आवेग को केन्द्र से परिधि तक पहुंचाती हैं ।
(ख) तन्तुओं की संख्या के आधार पर: (चित्र 3.69)
1. मल्टीपोलर:
जिसमें एक एक्जान व कई डेन्ड्राइट होते हैं । अधिकतर न्यूरान इसी प्रकार के होते हैं ।
2. वाइपोलर:
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एक डेन्ड्राइट व एक एक्जान ।
3. यूनीपोलर:
जिसके दोनों प्रोसेस सेलवाडी से निकलने के पश्चात एक में मिल जाते हैं ।
एक न्यूरान में (चित्र 3.70) सेल मेम्ब्रेन से घिरी हुई सेलवाडी होती है जिसमें साईटोप्लाज्म तथा उसमें स्थित कई अन्य अंग जैसे केन्द्रक, माइटोकान्ड्रीय व गाल्गीआप्रेटस आदि होते हैं तथा कुछ विशेष प्रकार के कण जिन्हें निसेल ग्रेन्यूल (Nissl Granules) पाये जाते हैं जो कुछ विशेष रंगों (Stain) से रंगते हैं और उनकी संख्या भिन्न-भिन्न होती है । निसेल ग्रेन्यूल का बारीक पाउडर के रूप में दूटने को क्रोमैटोलिसिस (Chromatolysis) कहते हैं ।
यह थकान में, एक्जान को काटने पर तथा विष के प्रभाव से होती है । इसके अलावा न्यूरान में म्बूराफिब्रिली (Neurofibrillae) पाये जाते हैं जो पतले धागे की तरह के होते हैं और साइटोप्लाज्म में गुंथकर एक जाल सा बनाते है ।
न्यूरान का प्रमुख कार्य संवेदों को ग्रहण करना तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना है । ये कार्य क्रमश: डेन्ड्राइट व एक्जान द्वारा किये जाते हैं । अधिकतर न्यूरानों में डेन्ड्राइट ग्रहण करने वाला सिरा बनाते हैं परकुछ स्थानों जैसे डार्सल रूट गैंगलिया (Dorsal Root Ganglion) में कोई डेन्ड्राइट नहीं होता है ।
अकेला एक्जान एक तरफ स्थित सेलबाडी से लगा होता है एक्जान की लम्बाई कुछ से.मी.से 100 से.मी. तक हो सकती है । एक्सान न्यूरान के उस भाग से निकलते हैं, जहां निसेल ग्रेन्यूल नहीं पाये जाते हैं । उस भाग को एक्जान हिलाक (Axon Hillock) कहते हैं । इनकी रचना को चित्र 3.70 में दर्शाया गया है ।
मायेलिन सीथ (Myelin Sheath) कई भागों में तंत्रिका तंत्र के चारों ओर लिपटी होती है । यह वसा की अधिक मात्रा से युक्त होती है जो श्वान सेल (Schwan Cells) से बनती है । कुछ तन्तुओं में श्वान सेल मायेलिन सीध का निर्माण नहीं करते हैं ।
इन तंत्रिका तंतुओं को अनमायेलिनटेड तंतु कहते हैं । तंत्रिका तंतु के बन्डल (Fasicles) कनेक्टिव टिश्यू कैप्सूल जिसे पेरीन्यूरियम कहते हें, से घिरे होते हैं और कई फेसिकिल इन्डोन्येरियम (Endoneurium) द्वारा बंधे होते हैं (चित्र 3.72) ।
सभी परिधीय नर्व टैक्ट मिक्सड नर्व होते हैं तथा कई तंत्रिका तंतुओं से बने होते हैं । अधिक मोटाई वाले तंतु आवेग के तीव्र संचालन के लिए होते हैं जो स्केलटल पेशियों सेन्सरी या मोटर आवेग ले जाते हैं । छोटे तंतु कुछ आवेगों जैसे दाब, दर्द, स्पर्श, ताप आदि के लिए होते हैं ।
तंत्रिका आवेग:
भिन्न नर्व फाइबर संदेशों के संचालन का कार्य करते हैं जो परिधि से केन्द्र व केन्द्र से पेशियों और ग्रन्थियों को (Motor) हो सकते हैं । संदेशों को तंत्रिका आवेग के रूप में ले जाये जाते हैं । तंत्रिका आवेग स्वयं चलने वाली वियुतीय तंरग हैं जिसे एक्सन पोटेन्शियल कहते हैं जो उचित उत्प्रेरण से उत्पन्न होता है ।
किसी भी क्षण तंत्रिका आवेग पैदा होते रहते हैं । कोई न्यूरान जब आवेग को संचालित नहीं कर रहा होता है तो वह रेस्टिंग स्टेट में होता है और इसकी प्लाज्या मेम्ब्रेन पोलेराइज्ड कही जाती है । जब मेम्ब्रेन के एक्रास उल्टे आवेश होते हैं (बाहर धनावेश तथा अन्दर ऋणावेश), इन उल्टे आवेश के वितरण से रेस्टिंग मेम्ब्रेन पाटेन्शियल होता है जो 70-90 मि. वोल्ट अन्दर के ऋणावेश से बाहर की तरफ होता है ।
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र:
संरचना के आधार पर तंत्रिका तंत्र को दो भागों में बांटा जाता है । केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के अन्तर्गत मस्तिष्क व स्पाइनल कार्ड आते हैं तथा परिधीय तंत्रिका तंत्र के अन्तर्गत क्रेनियल और स्पाइनल नर्व, आटोनामिक नर्व तथा गैंगलिया आते हैं । कार्य के आधार पर इसे कई भागों में बांटना उचित नहीं है फिर भी समझने के लिए इसे भिन्न भागों में बांटा जा सकता है ।
1. केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (C.N.S.)
2. परिधीय तंत्रिका तंत्र (P.N.S.)
3. स्वत: निर्देशक तंत्रिका तंत्र (A.N.S.)