Read this note in Hindi to learn about blood pressure in humans.
रक्त चाप रक्त द्वारा धमनियों की दीवारों पर डाला गया दाब है । यह सामान्य स्वस्थ व्यक्ति में बायें वेन्ट्रिकुलर सिस्टोल के समय अधिक (120 मि॰मी॰ मरकरी) होता है । इसे सिस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं । बायें वेन्ट्रिकिल के सिस्टोल के पश्चात एवोरटिक वाल्व बंद हो जाता है तथा रक्तचाप यद्यपि गिरता है पर यह शून्य नहीं होता है क्योंकि बायां केन्ट्रिकिल पुन: सिस्टील में आ जाता है ।
सबसे कम रक्तचाप 80 मि॰मी॰ मरकरी होता है तथा इसे डायस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं । रक्तचाप कार्डियक आउटपुट व पेरिफेरल रजिसटेन्स पर निर्भर करता है । शरीर की भिन्न कोशिकाओं को उपयुक्त रक्त का संचार होने के लिए रक्तचाप का सामान्य होना अति आवश्यक है जैसे कि मस्तिष्क ।
मस्तिष्क खड़े या बैठे होने की स्थिति में हृदय उससे ऊंची स्थिति में होता है । अत: रक्त को ऊंचाई पर मस्तिष्क मे भेजना होता है । चेतना बरकरार रखने के लिए रक्तचाप का सामान्य होना आवश्यक है । एक व्यक्ति जो कम रक्तचाप की वजह से बेहोश हो जाता है उसे मस्तिष्क और हृदय को एक ऊंचाई पर लाने के लिए समतल जमीन पर लिटा देना चाहिए ।
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गुर्दो द्वारा ग्लोमेरूलर फिल्ट्रेशन तथा मूत्र बनाने हेतु भी उपयुक्त रक्तचाप की आवश्यकता होती है । हम कार्डियक आउटपुट पर पड़ने वाले भिन्न प्रभावों को पढ़ चुके हैं । अब पेरिफेरल रजिसटेन्स को प्रभावित करने वाले कारणों के बारे में जानेंगे ।
यह मुख्यतया अर्टिरियोलों की स्मूथ पेशी और प्रीकैपिलरी स्फिन्कटरों पर निर्भर करता है । स्मूथ पेशी का कार्य सिम्पैथेटिक तन्त्र पर निर्भर करता है । सिम्पैथेटिक टोन मेडुला में स्थित वेसोमीटर सेन्टर से शुरू होती है जैसा कि चित्र 3.6 में दिखाया गया है ।
वेसोमीटर सेन्टर की क्रिया बढ़ने पर आर्टिरियोलो के छिद्र का आकार घट जाता है । फलस्वरूप पेरिफेरल रजिसटेंस बढ़ जाता है । इसके विपरीत वेसोमीटर केन्द्र की क्रिया घटने पर रक्तचाप भी घट जाता है । वेरोरिसेप्टर स्ट्रेच रिसेप्टर होते हैं जो एओंरटिकआर्च और कैरोटिड साइनस में स्थित होते हैं ।
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जब उन्हें उत्तेजित किया जाता है तो चित्र 3.6 के अनुसार वेसोमोटर सेन्टर द्वारा वेसोडाइलेसन होता है जबकि कम रक्तचाप के समय इसका उल्टा असर होता है । बैरोरिसेप्टर हृदय गति में परिवर्तन कार्डियक केन्द्र पर कार्य कर लाते हैं जिसे चित्र 3.7 में देखाया गया है । मानव रक्तचाप को मरकरी स्फिग्नोमैनो मीटर द्वारा मापा जा सकता है ।